मेरे आंसुओ को कहानी ।

एक शाम बड़ी महफ़िलो से सजी सुहानी थी
बस मेरे ही घर मे खाने को रोटी न थी
पेट दबाकर बच्चे सो गए ।
ओर हम आंखों के सारे आंसुओ को पी गए 
वो रात भी हर रात की तरह कट जयनयी थी ।ये कुछ लब्जो में मेरे ।
                 आंसुओ की कहानी थी ।
                               शिवमअम्बेडकर

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