में अकेला था बस सिर्फ अकेला था। लेकिन मरने से पहले आत्मा का अहसास हुआ ।। भूक का अहसास हुआ । धूप छाव का अहसास हु।। रोया तो आंसुओ का अहसास हुआ। गिर गया तो दर्द का अहसास हुआ ।। बस अब में अकेला नही था क्योंकि मेरे दुख मेरे साथ है। फिर मुझे बस मेरे दुख में खुशी का अहसास हुआ ।
कुछ रात के साए मुझे ,इस कदर भाने लगे। मेरी बंद आंखों में भी तुम नजर आने लगे।। मैने तोड़ा अपना भ्रम,बस यही सोचकर ,के जिंदा है हम तेरी बात में। मगर तेरी बातों से भी हम दूर.... जाने लगे।। काश कोई छोटा सा रास्ता होता ,तो हम वापस आ जाते । मगा अब कब्र के अंधेरे में ही मजे आने लगे ।। "शिवम"
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